असली इंजीनियर वही लौंडा होता था जो साइकिल का हैंडल टेढ़ा हो जाने पर,
अगला पहिया दोनों टांग के बीच में फंसा कर ,
बिलकुल सटीक हैंडल सीधा कर लेता था
असली इंजीनियर वही लौंडा होता था जो साइकिल का हैंडल टेढ़ा हो जाने पर,
अगला पहिया दोनों टांग के बीच में फंसा कर ,
बिलकुल सटीक हैंडल सीधा कर लेता था
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