रंग से गोरी न थी
लेकिन सुन्दर थी
बहुत ऊँची न थी
लेकिन मेरे लिए योग्य थी
प्रेम देने वाली न सही
मेरे कदमो से कदम मिलाती थी
मंदिर – मस्जिद आने से इनकार करती थी
लेकिन बाहर मेरा इंतजार करती थी
कही भी जाओ मेरे लिए रुक जाती थी
वो
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मेरी चप्पल थी
सालु कोक चोरी गयु
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