गुजरात का चुनाव शायद भारत का पहला “टोपी-लेस” चुनाव है.
कोई नेता गोल टोपी में नहीं दिख रहा. यही गुजरात मोडल है.
राहुल मंदिर मंदिर जा रहा है लेकिन कोई सेक्युलर हिम्मत नहीं कर रहा कि एक बार ट्विट कर पूछे कि मस्जिद भी जाओगे क्या?
यही गुजरात मोडल है.
जिस महान नेहरू ने सोमनाथ मंदिर का विरोध किया, मंदिर के लिए धन देने से मना किया (लेकिन उसी समय उस से अधिक धन हज के लिए दिया).
आज उसी मंदिर के आगे उनका वंशज नाक रगड़ रहा है, यही गुजरात मोडल है और ये ही हैं अच्छे दिन.
पतंजलि के डर से…
कोलगेट को….आयुर्वेदिक “वेदशक्ति” पेस्ट निकालना पडा!
और ….
मोदी के डर से…
राहुल गांधी को..मन्दिर मन्दिर माथा टेकना पडा!!..
ये राष्ट्रवादियों की ताकत ही है!..कि
“हरेक विदेशी प्रोडक्ट अपने को हिन्दूवादी बताने में जुटा है!!”???? ????
और…कितने अच्छे दिन चाहिए! !…देश वालो !!