एक पेड़ का डंठल अचानक टूट कर गिरता है।
जिसके कारण पेड़ के नीचे सोया हुआ एक बूढ़े व्यक्ति की मौत हो जाती है।
आस-पास के चतुर लोग इस घटना का विश्लेषण करते हुए बूढ़े व्यक्ति के मौत के लिए पेड़ को दोषी ठहरा देते है।
इस पर दूसरा चतुर आदमी बोलता है की पेड़ का क्या दोष, दोषी तो वो है, जो इस कमजोर मिटटी में पेड़ लगाया था।
अब पेड़ लगाने वाले को बुलाकर उससे बूढ़े का मौत का जिम्मेदार ठहराया जाता है।
पेड़ लगाने वाला भी चतुर था वो बोला- इसमें मेरा क्या दोष, इस पेड़ की डाली में बगुलों का झुण्ड आकर बैठ गया, जिसके वजन से डाली टूट गई और बूढ़े के ऊपर गिर गई।
इसलिए दोषी बगुले है।
दूसरा चतुर आदमी बोला- इन बेजुबान बगुलों का कोई दोष नहीं, ये बगुले पहले स्टेट बैंक के पास वाले पेड़ पर बैठते थे।
लेकिन
आज-कल वहाँ लम्बी-लम्बी लाइन लगी है और बहुत शोर होता है, जिसके कारण बगुले वहा से यहाँ शिफ्ट हो गए है । दोषी तो स्टेट बैंक है।
इस पर एक और चतुर आदमी बोलता है- स्टेट बैंक का क्या दोष,
दोषी तो नरेंद्र मोदी है,
जिसने नोट बंदी लगा दिया और ये बगुले पहले स्टेट बैंक के पास वाले पेड़ पर बैठते थे।
लेकिन, आज-कल वहाँ लम्बी-लम्बी लाइन लगी है और बहुत शोर होता है, जिसके कारण बगुले वहा से यहाँ शिफ्ट हो गए है । जिसके वजन से डाली टूट गई और बूढ़े के ऊपर गिर गई।
उसी के कारण इस बूढ़े की मौत हो गई।
अंत में सभी चतुर लोग एक मत से फैसला करते है की स्टेट बैंक से कोसो दूर एक पेड़ की डाली के नीचे सोये हुए बूढ़े की मौत नरेंद्र मोदी के कारण हुआ है।
विश्वास न हो तो आज फिर संसद में सुन लेना..।